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Showing posts from May, 2021

माँ

  मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’ माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है मुसीबत के दिनों में हमेशा साथ रहती है पयम्बर क्या परेशानी में उम्मत छोड़ सकता है जब तक रहा हूँ धूप में चादर बना रहा मैं अपनी माँ का आखिरी ज़ेवर बना रहा किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ हादसों की गर्द से ख़ुद को बचाने के लिए माँ ! हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जायेंगे ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई यहीं रहूँगा कहीं उम्र भर न जाउँगा ज़मीन माँ है
disawar satta king