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Showing posts from November, 2016

प्यार

प्यार कभी एकतरफा होता है न होगा  कहा था मैंने  दो रूहों की एक मिलन की जुड़वां पैदाइश है यह  प्यार अकेला जी नहीं सकता  जीता है तो दो लोगों में  मरता है तो दो मरते हैं  प्यार एक बहता दरिया है  झील नहीं की जिसको किनारे बाँध के बैठे रहते हैं  सागर भी नहीं की जिसका किनारा होता नहीं  बस दरिया है और बहता है  दरिया जैसे चढ़ जाता है , ढल जाता है  चढ़ना ढालना प्यार में वो सब होता है  पानी की आदत है ऊपर से नीचे की जानिब बहना  नीचे से फिर भागती सूरत ऊपर उठाना  बादल बन आकाश में बहना  कांपने लगता है जब तेज़ हवाएं छेड़ें बूँद बूँद बरस जाता है  प्यार एक जिस्म के साज़ पे बहती गुंज नहीं है  न मंदिर की आरती है न पूजा है  प्यार नफा है न लालच है  न लाभ न हानि कोई  प्यार ऐलान है अहसान है न कोई जंग की जीत है यह  न ही हुनर है न ही इनाम न रिवाज़ न रीत है यह  यह रहम नहीं यह दान नहीं  यह बीज नहीं जो बीज सके  खुशबू है मगर यह खुशबू की पहचान नहीं  दर्द दिलासे शक विश्वास जूनून और होश -ओ -हवास की एक अहसास के कोख से  पैदा हुआ है  एक रिश्ता है यह  यह सम्बन्ध है - दो जानो का दो रूहों का पहचानों का  पैदा होता है बढ़ता

शून्य

कमी अनेकाहूनि मजपाशी       यात मनाला खेद  कित्येकाहुनी अधिक असे पण       मनास याचा मोद  या मोदाचा त्या खेदाशी       होतो भागाकार  संभावित मज समाधान हे       मिळते शून्याकार ! : शून्य   : हिमरेषा  : कुसुमाग्रज 

गुलाब

जन म्हणती की - काट्यावाचून  गुलाब नाही     दिसावयाचा - एकही काटा या कुसुमाला     कोठे नाही  दलादलांतुनि दहिवर केवळ     साठूनि राही - म्हणून म्हणतो - अश्रुवाचून  गुलाब नाही     असावयाचा.  : गुलाब  : हिमरेषा  : कुसुमाग्रज 

आशंका

आषाढाची आठवण       अश्विनाला उरेल का ? निलातील मेघयात्रा       निरभ्राला स्मरेल का ? पर्जन्यात हारपली       नक्षत्रांच्या संगे रात  तिची व्यथा हंसपंखी       चांदण्यात कळेल का ? तिन्ही सांजा धुक्यावर       लिहिलेले दवगीत  त्याचा स्वर प्रकाशाच्या       गर्जनेशी मिळेल का ? : आशंका  : हिमरेषा  : कुसुमाग्रज 

वरदान

या प्रेमाला दूरपणाचे     कायमचे वरदान असे  समीपतेचा काच न याला     मलीनतेचा शाप नसे     इथे न केव्हा तुफान उठते       धुसमुसणारे     धुके न पडते अथवा जीवन       आकसणारे  हलके हलके रक्त पिणारा     विद्ध इथे अभिमान नसे  प्रेम असे पण त्या प्रेमासह     जहराचे अनुपान नसे.  : वरदान  : हिमरेषा  : कुसुमाग्रज 

जागा

पुन्हा पुन्हा बघ तुला सांगतो  पीटामध्ये मी आहे बसलो  तयार तेथे बसावया तू ? म्हणशिल ना तर आम्ही फसलो ! : जागा  : हिमरेषा  : कुसुमाग्रज 

कोसा कोसा लगता है

कोसा कोसा लगता है  तेरा भरोसा लगता है  रातने अपनी थालीमें  चांद परोसा लगता है  गमसे इतना उन्स हुआ  पाला पोसा लगता है  गालपे आसू हाथ तेरा  ओठंपे बोसा लगता है  ... तेरा भरोसा लगता है  : गुलज़ार 

देणगी

तुझ्या सावलीत  विसावला जीव  उमले राजीव      चांदण्यात  युगायुगांची रे  मावळे झाकळ  हृदयी उजळ      काही भासे  आकाशाची फुले  शृंगारात रात  आली अंधारात      माझ्याकडे  अंतरीचे गूढ  उकलले धागे  जीवित हो जागे      थरारोनी  धुक्यातून नादे  पैंजणाचा रव  स्वप्नाशांचा नव      जमे मेळा  तुझ्या स्पर्शे झाले  गंजलेले क्षण  सुवर्णाचे  कण      जादूगारा ! पाखरांच्या परी  गीत आलापीत  गेले झंकारीत      जीवनास ! जीवनच सारे  मुखरीत झाले  अणुरेणू न्हाले      संगीतात ! आणि आज पुन्हां  अज्ञातात जाशी  उरे माझ्यापाशी      देणगी ही  तर्जनी हो दूर  तरी वीणेवर  राहतील स्वर     रेंगाळत ! : देणगी  : किनारा  : कुसुमाग्रज 
disawar satta king