तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे , प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे , तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा , जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा , दीन जिनको जिन्हे ईमान बनाये रखा तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह , याद थे मुझको जो पैगाम - ऐ - जुबानी की तरह , मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह , तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे , सालाहा - साल मेरे नाम बराबर लिखे , कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे , तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे , प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे , तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ , आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ : Rajinder Nath (Rehbar)