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Showing posts from December, 2016

तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे,

तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे , प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे , तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा , जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा , दीन जिनको जिन्हे ईमान बनाये रखा तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , जिनका हर लफ्ज़ मुझे याद था पानी की तरह , याद थे मुझको जो पैगाम - ऐ - जुबानी की तरह , मुझ को प्यारे थे जो अनमोल निशानी की तरह , तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , तूने दुनिया की निगाहों से जो बचाकर लिखे , सालाहा - साल मेरे नाम बराबर लिखे , कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे , तेरे खुशबु मे बसे ख़त मैं जलाता कैसे , प्यार मे डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे , तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे , तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ , आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ : Rajinder Nath (Rehbar)

मैं नशे में हूँ...

ठुकराओ या अब के प्यार करो मैं नशे में हूँ जो चाहो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ अब भी दिला रहा हूँ यकीन - ऐ - वफ़ा मगर मेरा ना एतबार करो मैं नशे में हूँ ... गिरने दो तुम मुझे , मेरा साग़र संभाल लो इतना तो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ ... मुझको कदम - कदम पे भटकने दो वाइज़ों तुम अपना कारोबार करो मैं नशे में हूँ ... फ़िर बेखुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ मैं इतना ना मुझसे प्यार करो मैं नशे में हूँ ... : शहीद कबीर

रान ओले चिंब ओले

रान ओले  चिंब ओले  तुझ्या कातीव लेण्याला  वस्त्र लाघट लाखले  नभ ओले  चिंब ओले  ऊनसाउलीचे जाळे  तुझ्या डोळ्यांत गुंतले  रान ओले  पीक झुले  तुझ्या अंधारबनात  वारे झिंगून गेलेले  रान ओले  चिंब ओले ....  : रान ओले चिंब ओले  : रानातल्या कविता  : ना. धों . महानोर 

Punjabi Tappe

Kothe te aa mahiya, Milna taa millege, Nai to khasmaa nu kha mahiya, Ke leyna hai mitra to, Milne to aa jawa, Daar lagta hai chiitra to, Tusi kale kale ho, Kuch tee sharam karo, Dhiya putra wale ho, Aye sare dand paye kade ne, Asi taanu chunge lagde, Te sade dhiya put wadhde ne, Ithe pyaar di puch koi na, Tere nail nayui boolna, Tere muh te much koi na, Maja pyaar da chak langa, Je tera hukm hoye, Meh to dadi wi rakh langa Bage which aaya kaaro, Jado usii so jayye, Tusi makhiya udaya karo, Tusi rooj nahaya kaaro, Makhiya to darde ho, Gud thoda khaya karo Eet pyaar di pawage, Hum asi mil gaye ha, Geet pyaar de gawa ge

आहिस्ता आहिस्ता

सरकती जाये है रुख से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता निकलता आ रहा है आफ़ताब आहिस्ता आहिस्ता जवां होने लगे जब वो तो हमसे कर लिया परदा हया यकलख़्त आई और शबाब आहिस्ता आहिस्ता सवाल \- ए \- वसल पे उनको उदू का खौफ़ है इतना दबे होंठों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता हमारे और तुम्हारे प्यार में बस फ़र्क है इतना इधर तो जल्दी \- जल्दी है उधर आहिस्ता आहिस्ता शब - ए - फ़ुर्क़त का जागा हूँ फ़रिश्तो अब तो सोने दो कभी फ़ुर्सत में कर लेना हिसाब आहिस्ता आहिस्ता वो बेदर्दी से सर काटें अमीर और मैं कहूँ उनसे हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता जनाब आहिस्ता आहिस्ता :आमिर मिनाई 

दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई

दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई दिलमे कुछ ऐसें संभालता हुं गम  जैसे जेवर संभालता हैं कोई  आईना देख के तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई पक गया है शजर पे फल शायद फिर से पत्थर उछालता है कोई फिर नजर में लहू के छींटे हैं तुम को शायद मुघालता है कोई देर से गूँजतें हैं सन्नाटे जैसे हम को पुकारता है कोई ।

न कुर्बतों में

न कुर्बतों में सुकून है न फासलों में करार है ना वस्ल में मज़ा है न हिज़्र में वो सज़ा है मैं कहूँ जान की आफत तुम कहते हो कि प्यार है

रानात रानात जांभूळबनात

रानात रानात  जांभूळबनात  झडली श्रावणगाणी  गंधल्या मातीत  पुनव उजट  अंकुरे लाख वितांनी  नागड्या झाडांना  लखडे पालवी  स्वप्निल , हाऊन धुंद  पांगल्या नभात  दाटली दर्वळ  ओठात रुतले छंद  सांजल्या मनात  जाणीव जागली  लेऊन मोत्याचा तुरा  क्षितीजवाटेत  सांडल्या चांदण्या  होऊन सोनफुलोरा ! : रानात रानात जांभूळबनात  : रानातल्या कविता  : ना. धों.  महानोर