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Showing posts from September, 2010

में नशेमे हूँ...

ठुकराओ या अब के प्यार करो में नशेमे हूँ... जो चाहो मेरे यार करो में नशेमे हूँ... अब भी दिला रहा हूँ यकीन-ऐ-वफ़ा मगर... मेरा न ऐतबार करो में नशेमे हूँ... गिरने दो तुम मुझे मेरा सागर संभाललो... इतना तो मेरे यार करो में नशेमे हूँ... मुझको क़दम क़दम पे बहकने दो वाइजों... तुम अपना कारोबार करो में नशेमे हूँ... फिर बेखुदी मे हद से गुज़रने लगा हूँ... इतना न मुझसे प्यार करो में नशेमे हूँ...

देखा है

सदा खुद को ख़ुशी के लिए तरसते देखा है, किसी अनजान के लिए इन आँखों को बरसते देखा है, कभी दुसरो को मंजिल दिखाते थे आज अपनी मंजिल के लिए खुद को भटकते देखा है, जब भी सोचते है क्या होगा हमारी मोह्हब्बत का अंजाम तो मेरे दोस्त हमने हमेशा खुद को सूली पे लटकते देखा है ..

हद

जिनकी खातिर तोड़ दी सारी सरहदें हमने , आज उसीने कह दिया जरा हद में रहा करो ...

इंतज़ार

कबर की मिटटी उठा के ले गया कोई, इसी बहाने हमें छूकर चला गया कोई. तन्हाई और अँधेरे में खुश थे हम लेकिन फिर से इंतज़ार करने की वजह दे गया कोई..

ए मोहब्बत

ए मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया , जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया .. यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी , आज कुछ बात है , जो शाम पे रोना आया .. कभी तकदीर का मातम , कभी दुनिया का गिला , मंजिल -इ -इश्क में हर गम पे रोना आया ... जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का मुझको अपने दिल -इ -बर्बाद पे रोना आया ...

आँखें

जो मोहब्बत से उलझोगे तो बरसेंगी आँखें उनके दीदार के इंतज़ार को तरसेंगी आँखें ये दिल तो टूट जायेगा उनकी बेवफाई में ए यार उस बेवफाई के सदके बार बार फिर बरसेंगी आँखें .

निरोपाच्या वेळी...

निरोपाच्या वेळी... असे गुंतवायचे नाहीत हातात हात फक्त स्पर्श सांभाळायचा मखमली ह्रुदयात... निरोपाच्या वेळी... असे मोजायचे नाहीत मागचे क्षण धुवून पुसून साफ़ ठेवायचे झाले गेलेले व्रण निरोपाच्या वेळी... असे थांबवायचे नाही एकमेकांना वाटेवर अंथरायच आपल्या जवळच्या गोड फुलांना निरोपाच्या वेळी... नेहमीच एक करायच... समोरच्याच डोळ्यातल पाणी आपल्या डोळ्यात घ्यायाच.....
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